भाई का त्याग: एक राखी के वादे की अनकही कहानी

 

भाई का त्याग: एक राखी के वादे की अनकही कहानी
Bhai ka tyag

कुछ रिश्ते खून से बनते हैं, पर कुछ त्याग और प्रेम से इतने गहरे हो जाते हैं कि वे हर परिभाषा से परे हो जाते हैं। यह कहानी है ऐसे ही एक रिश्ते की, एक भाई के त्याग की, जिसने अपनी छोटी बहन की खुशियों के लिए अपने सारे सपनों को खामोशी से कुर्बान कर दिया।

यह कहानी है रवि और उसकी छोटी बहन, रिया, की।

राजस्थान के एक छोटे से गाँव में, जहाँ सूखा और गरीबी हर घर की चौखट पर दस्तक देती थी, वहाँ रवि और रिया रहते थे। उनके माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था। अब रवि ही रिया का पिता भी था और माँ भी। रवि, जो खुद सिर्फ बीस साल का था, पर उसके कंधों पर एक पूरे परिवार का बोझ था।

रिया पढ़ने में बहुत होशियार थी। उसकी आँखों में एक डॉक्टर बनने का सपना था। रवि, जो खुद एक इंजीनियर बनना चाहता था, ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और गाँव के एक सेठ की दुकान पर काम करने लगा, ताकि वह अपनी बहन के सपनों को पूरा कर सके।

यह एक भाई का अपनी बहन के लिए पहला त्याग था, जिसे रिया उस वक्त समझ नहीं पाई।

रवि दिन भर मेहनत करता, और रात को जब घर लौटता, तो अपनी थकी हुई आँखों से रिया को पढ़ते हुए देखता। उसकी सारी थकान दूर हो जाती।

"भाई, तुम भी पढ़ लिया करो न," रिया अक्सर कहती।

"पगली," रवि मुस्कुराता, "तुझे डॉक्टर बनाकर ही मैं इंजीनियर बन जाऊँगा।"

इस कहानी में एक और किरदार है, गाँव की सरपंच की बेटी, मीना। मीना और रवि बचपन के दोस्त थे और एक-दूसरे को मन ही मन चाहते थे। मीना जानती थी कि रवि अपनी बहन के लिए कितना कुछ कर रहा है।

समय बीता। रिया ने अपनी मेहनत से मेडिकल की प्रवेश परीक्षा पास कर ली। उसका दाखिला शहर के एक बड़े मेडिकल कॉलेज में हो गया।

घर में खुशी की लहर दौड़ गई, पर इस खुशी के साथ एक बड़ी चिंता भी थी - मेडिकल की पढ़ाई का भारी खर्च।

"अब क्या होगा, भाई?" रिया ने चिंता से पूछा।

"तू चिंता मत कर," रवि ने कहा। "मैंने सब सोच रखा है।"

उस रात, रवि ने अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा और सबसे कठिन त्याग किया।

गाँव के पास एक पुरानी, बंजर ज़मीन का टुकड़ा था, जो उसके पुरखों की आखिरी निशानी थी। रवि ने कभी उसे बेचने के बारे में सोचा भी नहीं था। पर आज, अपनी बहन के सपनों के लिए, उसने वह ज़मीन गाँव के सरपंच को बेच दी।

सरपंच जानता था कि वह ज़मीन बंजर है, पर वह रवि की मजबूरी का फायदा नहीं उठाना चाहता था। उसने वह ज़मीन मीना के नाम पर खरीद ली।

जब रवि ने पैसे लाकर रिया के हाथ में रखे, तो रिया रो पड़ी। "भाई, यह... यह तो पुरखों की निशानी थी।"

"मेरी सबसे बड़ी निशानी और विरासत तो तू है, रिया," रवि ने उसके सिर पर हाथ रखकर कहा।

रिया शहर चली गई। अब दोनों भाई-बहन के बीच एक दूरी आ गई थी। रिया अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई, और रवि अपनी दुकान और अकेलेपन में।

एक गलतफहमी ने उनके रिश्ते में धीरे-धीरे जगह बना ली। शहर की चकाचौंध में, रिया को कभी-कभी लगता कि उसका भाई उसे समझ नहीं पाता। और रवि को लगता कि उसकी बहन अब उससे दूर हो गई है।

कहानी में मोड़ तब आया, जब रिया अपनी पढ़ाई पूरी करके एक डॉक्टर बनकर गाँव लौटी।

गाँव में उसका भव्य स्वागत हुआ। वह अपने भाई के लिए बहुत सारे तोहफे लाई थी। पर जब उसने देखा कि उसका भाई आज भी उसी छोटी सी दुकान पर काम कर रहा है, और उसके चेहरे पर समय से पहले ही बुढ़ापा झलकने लगा है, तो उसका दिल बैठ गया।

उस रात, जब पूरा गाँव सो रहा था, रिया अपने भाई के कमरे में गई। उसने देखा कि रवि अपनी पुरानी इंजीनियरिंग की किताबों को सीने से लगाकर सो रहा है। किताबों के पन्ने पीले पड़ चुके थे, पर उन पर रवि के हाथ से लिखे नोट्स आज भी ताज़ा थे।

उस एक पल में, रिया को अपने भाई के त्याग की पूरी गहराई का एहसास हुआ। उसे समझ आया कि उसकी डॉक्टर की डिग्री की नींव उसके भाई के अधूरे सपनों पर रखी गई है।

उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

अगली सुबह, रिया ने एक फैसला किया।

वह सरपंच के पास गई। "सरपंच जी," उसने कहा, "मैं अपनी पहली तनख्वाह से वह ज़मीन वापस खरीदना चाहती हूँ, जो मेरे भाई ने आपको बेची थी।"

सरपंच मुस्कुराए। "बेटी, वह ज़मीन तो मैंने कभी खरीदी ही नहीं थी। वह तो आज भी तुम्हारे भाई के नाम पर है। मैंने तो बस उसे कुछ पैसे उधार दिए थे, जो मीना ने चुका दिए।"

मीना, जो वहीं खड़ी थी, ने कहा, "रिया, तुम्हारे भाई ने तुम्हारे लिए अपने सपने कुर्बान किए। क्या हम मिलकर उसका एक छोटा सा सपना पूरा नहीं कर सकते?"

उस दिन, गाँव में एक नई शुरुआत हुई। रिया ने गाँव में एक छोटा सा क्लिनिक खोला। और उसी के साथ, मीना और रिया ने मिलकर रवि को फिर से पढ़ाई करने के लिए मनाया।

यह कहानी हमें सिखाती है कि भाई का त्याग सिर्फ एक राखी का वादा नहीं होता। यह एक निःस्वार्थ प्रेम की वह अनकही कहानी है, जो अपनी बहन की खुशियों के लिए चुपचाप अपनी हर ख्वाहिश को न्योछावर कर देती है।

आज, उस गाँव में एक डॉक्टर है, जो गरीबों का मुफ्त में इलाज करती है। और एक इंजीनियर है, जो गाँव के बच्चों को विज्ञान पढ़ाता है। और एक समझदार पत्नी है, जिसने प्यार और त्याग के सही मायने सिखाए। और इन सबके पीछे, एक भाई का वह महान त्याग है, जो हमेशा एक प्रेरणा बनकर रहेगा।

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