माँ का आविष्कार: एक जुगाड़ से जन्मी उम्मीद की कहानी

 

माँ का आविष्कार: एक जुगाड़ से जन्मी उम्मीद की कहानी
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विज्ञान कहता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। पर कभी-कभी, माँ का प्यार और उसकी ममता भी एक ऐसा आविष्कार कर देती है, जिसे देखकर बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी हैरान रह जाएँ। यह कहानी है ऐसी ही एक माँ, विमला, की और उसके एक छोटे से, पर अद्भुत आविष्कार की।

यह कहानी है मध्य प्रदेश के एक छोटे से, बिजली की कटौती से जूझते गाँव की।

विमला एक साधारण गृहिणी थी। उसकी दुनिया थी उसका पति, रमेश, जो एक मामूली किसान था, और उसकी आठ साल की बेटी, पिंकी। पिंकी पढ़ाई में बहुत होशियार थी, पर गाँव में रात को घंटों तक बिजली नहीं रहती थी, जिससे उसकी पढ़ाई में बहुत दिक्कत होती थी।

यह एक आम भारतीय परिवार का संघर्ष था, जो सीमित साधनों में अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य देने के लिए लड़ रहा था।

पिंकी को अँधेरे से बहुत डर लगता था। मिट्टी के तेल के दीये की रोशनी कम होती थी और उसका धुआँ पिंकी की आँखों में लगता था।

"माँ, मुझे कुछ दिख नहीं रहा," वह अक्सर शिकायत करती।

विमला का दिल अपनी बेटी को इस तरह संघर्ष करते देखकर बहुत दुखता था। वह पढ़ी-लिखी नहीं थी, पर वह जानती थी कि शिक्षा ही उसकी बेटी को इस अँधेरे से बाहर निकाल सकती है।

इस कहानी में एक और किरदार है, गाँव का स्कूल मास्टर, श्रीकांत जी। वह पिंकी की प्रतिभा को पहचानते थे और हमेशा विमला को उसे पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते थे।

एक दिन, जब विमला बाज़ार से पुराना, टूटा-फूटा सामान खरीदने वाले कबाड़ी वाले को देख रही थी, तो उसकी नज़र एक पुरानी, खराब पड़ी साइकिल के डायनेमो (dynamo) पर पड़ी। अचानक, उसके दिमाग में एक विचार कौंधा।

उसने अपने पति, रमेश, से कहा, "सुनिए जी, क्या हम यह पुराना डायनेमो खरीद सकते हैं?"

"इसका क्या करोगी, विमला?" रमेश ने हैरानी से पूछा। "यह तो कबाड़ है।"

"आप बस ले आइए," विमला ने एक दृढ़ निश्चय से कहा।

उस दिन के बाद, विमला एक वैज्ञानिक की तरह अपने एक छोटे से 'आविष्कार' में जुट गई। उसने गाँव के एक मैकेनिक से मदद ली, यूट्यूब पर वीडियो देखे और अपनी सिलाई मशीन के पुराने, खराब पुर्जों का इस्तेमाल किया।

यह एक माँ का अपनी बेटी के लिए किया गया त्याग और जुनून था। वह दिन भर घर का काम करती और रात में, जब सब सो जाते, तो वह अपने इस 'जुगाड़' पर काम करती।

कई बार वह असफल हुई। कभी तार गलत जुड़ जाते, तो कभी बल्ब जलता ही नहीं। रमेश और गाँव के कुछ लोग उसका मज़ाक भी उड़ाते।

"देखो, विमला अब इंजीनियर बनेगी!"

पर विमला ने हार नहीं मानी।

कहानी में मोड़ तब आया, जब पिंकी की फाइनल परीक्षा नज़दीक थी और गाँव में तीन दिनों से बिजली नहीं थी। पिंकी बहुत परेशान थी।

"मैं कैसे पढूँगी, माँ?" वह रोने लगी।

"तू चिंता मत कर, बेटी," विमला ने मुस्कुराते हुए कहा। "आज रात तेरे कमरे में अँधेरा नहीं होगा।"

उस रात, विमला अपनी बनाई हुई एक अजीब सी मशीन पिंकी के कमरे में लाई। वह एक पुरानी सिलाई मशीन का ढाँचा था, जिसमें पैडल की जगह साइकिल का पैडल लगा था, और पहिए के साथ एक डायनेमो जुड़ा हुआ था। डायनेमो का तार एक छोटे से एलईडी बल्ब से जुड़ा था।

"यह क्या है, माँ?" पिंकी ने हैरानी से पूछा।

विमला ने सिलाई मशीन के पैडल को चलाना शुरू किया। जैसे-जैसे पहिया घूमता, डायनेमो भी घूमता, और... चमत्कार हो गया! वह छोटा सा एलईडी बल्ब जल उठा, और उसकी दूधिया रोशनी से पूरा कमरा रौशन हो गया।

पिंकी की आँखें आश्चर्य और खुशी से फैल गईं।

"यह... यह कैसे किया, माँ?"

"यह मेरी बेटी का प्यार है," विमला ने हाँफते हुए, पर मुस्कुराते हुए कहा।

उस रात, माँ और बेटी ने मिलकर एक नया इतिहास रचा। पिंकी पढ़ती रही, और विमला घंटों तक उस मशीन को चलाती रही। जब वह थक जाती, तो रमेश आकर पैडल चलाने लगता।

सुबह तक, विमला के पैरों में सूजन आ गई थी, पर उसके चेहरे पर एक गहरी संतुष्टि थी।

यह खबर पूरे गाँव में आग की तरह फैल गई। लोग विमला के उस 'जादुई आविष्कार' को देखने आने लगे। स्कूल मास्टर, श्रीकांत जी, ने इस 'पैडल वाली लाइट' का एक वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डाल दिया।

वह वीडियो वायरल हो गया।

शहर के बड़े-
-बड़े इंजीनियर और पत्रकार उस गाँव में आने लगे। सब हैरान थे कि कैसे एक अनपढ़, ग्रामीण महिला ने बिना किसी संसाधन के, सिर्फ अपनी ममता और जुगाड़ की ताकत से इतनी अद्भुत चीज़ बना दी।

एक बड़ी सोलर कंपनी ने विमला के इस आविष्कार को एक नया, बेहतर रूप दिया और गाँव के हर घर में एक 'पैडल लैंप' मुफ्त में लगवाया।

आज, उस गाँव में रात को अँधेरा नहीं होता। हर घर में बच्चे उस रोशनी में पढ़ते हैं, जिसे एक माँ के प्यार ने जन्म दिया था।

यह कहानी हमें सिखाती है कि आविष्कार करने के लिए बड़ी-बड़ी डिग्रियों या प्रयोगशालाओं की ज़रूरत नहीं होती। ज़रूरत होती है एक गहरे उद्देश्य की, एक अटूट लगन की, और उस प्यार की, जो हर मुश्किल को अवसर में बदल दे। विमला ने अपनी बेटी के लिए सिर्फ एक लैंप का आविष्कार नहीं किया था, उसने उस पूरे गाँव के लिए उम्मीद का एक नया दीया जलाया था। और यही एक माँ का सबसे बड़ा आविष्कार था।

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