अधूरी प्रेम कहानी: यादों के गुलदस्ते में एक सूखा हुआ फूल
अधूरी प्रेम कहानी

कुछ कहानियाँ कभी पूरी नहीं होतीं, पर वे हमारी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा बनकर रह जाती हैं। वे एक मीठी सी कसक, एक अनकही सी चाहत और एक खामोश सी मुस्कान बनकर हमारी यादों में हमेशा ज़िंदा रहती हैं। यह कहानी है ऐसी ही एक अधूरी प्रेम कहानी की, जो समय और समाज की दीवारों के बीच अधूरी तो रह गई, पर कभी मरी नहीं।

यह कहानी है कबीर और आयत की।

अलीगढ़ की पुरानी गलियों में, जहाँ आज भी हवा में उर्दू शायरी और इत्र की महक घुली रहती है, वहाँ कबीर का घर था। कबीर, एक यूनिवर्सिटी का छात्र, जिसकी दुनिया किताबों और गजलों में बसती थी। उसके घर के पास ही रहती थी आयत, एक शांत और संस्कारी लड़की, जिसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें हज़ारों अनकहे शब्द कह जाती थीं।

उनकी प्रेम कहानी कभी लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं हुई। वह बस छतों पर कपड़ों के सूखने का इंतज़ार करने, एक-दूसरे को देख मुस्कुराने और किताबों में छिपाकर भेजे गए सूखे गुलाब के फूलों तक ही सीमित थी। यह एक खामोश, मासूम प्यार था, जिसे समाज के नियमों का डर था।

इस कहानी में एक और किरदार है, कबीर की छोटी बहन, ज़ारा। ज़ारा अपनी 'आयत बाजी' से बहुत प्यार करती थी और वह अपने भाई के दिल का हाल भी समझती थी।

कबीर ने फैसला किया कि वह अपने अब्बू से आयत के बारे में बात करेगा। पर इससे पहले कि वह हिम्मत जुटा पाता, आयत के अब्बा, जो एक सख्त और पारंपरिक सोच के इंसान थे, ने उसकी शादी शहर के एक बड़े, अमीर घराने में तय कर दी।

जिस दिन कबीर ने यह खबर सुनी, उस दिन उसकी दुनिया उजड़ गई। उसे लगा जैसे किसी ने उसकी आत्मा ही निकाल ली हो। वह दौड़कर आयत के घर के पास गया। आयत अपनी खिड़की पर खड़ी थी। दोनों की नज़रें मिलीं। दोनों की आँखों में आँसू थे, पर होंठ खामोश थे।

उस रात, आयत की शादी हो गई, और कबीर की प्रेम कहानी अधूरी रह गई

समय का पहिया घूमा।

पच्चीस साल बीत गए। कबीर अब एक मशहूर प्रोफेसर बन चुका था। उसने शादी नहीं की। उसकी दुनिया आज भी वही थी - किताबें, ग़ज़लें और आयत की एक धुँधली सी याद।

एक दिन, उसे एक कॉन्फ्रेंस के सिलसिले में दिल्ली जाना पड़ा। वहाँ, एक आर्ट गैलरी में, उसकी नज़र एक पेंटिंग पर पड़ी। वह एक पुरानी गली की पेंटिंग थी, जिसमें एक खिड़की पर एक उदास लड़की खड़ी थी। उस पेंटिंग में इतनी गहराई, इतना दर्द था कि कबीर वहीं ठहर गया।

"बहुत खूबसूरत है, है ना?" एक जानी-पहचानी आवाज़ ने उसे चौंका दिया।

उसने मुड़कर देखा। सामने आयत खड़ी थी।

पच्चीस सालों ने उसके चेहरे पर समय की लकीरें खींच दी थीं, पर उसकी आँखों में आज भी वही पुरानी मासूमियत थी।

एक पल के लिए, दोनों खामोश रह गए।

"तुम...?" कबीर बस इतना ही कह पाया।

"हाँ," आयत मुस्कुराई, एक फीकी सी मुस्कान। "और यह पेंटिंग मेरी बेटी, 'कबीरा', ने बनाई है।"

कबीर स्तब्ध रह गया।

उस शाम, वे दोनों एक कैफे में बैठे। उन्होंने अपने बीते हुए सालों की कहानियाँ साझा कीं। आयत ने बताया कि उसका पति एक अच्छा इंसान था, पर वह उसे वह प्यार कभी नहीं दे पाया, जो शायद वह चाहती थी। कुछ साल पहले, एक बीमारी में उसका इंतकाल हो गया।

"और तुम?" आयत ने पूछा। "तुमने शादी नहीं की?"

कबीर ने बस 'न' में सिर हिला दिया।

"मैंने तुम्हारी सारी किताबें पढ़ी हैं, कबीर," आयत ने कहा। "तुम्हारी हर कहानी में एक अधूरी मोहब्बत होती है। क्या वह कहानी हमारी है?"

कबीर ने कुछ नहीं कहा। उसकी खामोश आँखें ही सब कुछ कह गईं।

यह एक अनकहे अतीत का सामना था, जो आज पच्चीस साल बाद हो रहा था।

"एक बात पूछूँ, कबीर?" आयत ने कहा। "उस दिन, जब मेरी शादी तय हुई, तुम कुछ कहने क्यों नहीं आए?"

"मैं आया था," कबीर ने एक गहरी साँस भरकर कहा। "पर तुम्हारे अब्बा के चेहरे पर अपनी बेटी के लिए एक सुरक्षित भविष्य की खुशी देखकर, मेरी हिम्मत टूट गई। मुझे लगा कि मैं तुम्हें वह ज़िंदगी कभी नहीं दे पाऊँगा, जिसकी तुम हकदार हो। यह मेरा त्याग नहीं, मेरी हार थी।"

उस दिन, एक गलतफहमी की दीवार ढह गई। आयत हमेशा सोचती थी कि कबीर ने हिम्मत नहीं की, और कबीर हमेशा सोचता रहा कि वह आयत के काबिल नहीं था।

"जानते हो," आयत ने अपनी नम आँखों से कहा, "मैं सालों तक तुम्हारा इंतज़ार करती रही। मैंने अपनी बेटी का नाम 'कबीरा' इसलिए रखा, ताकि तुम्हारी याद का एक हिस्सा हमेशा मेरे साथ रहे।"

उस रात, जब कबीर अपने होटल लौटा, तो उसने अपनी पुरानी डायरी खोली। उसके पन्नों के बीच, आज भी वह सूखा हुआ गुलाब का फूल महफूज था।

यह कहानी हमें सिखाती है कि हर अधूरी प्रेम कहानी का अंत दुखद नहीं होता। कुछ कहानियाँ अधूरी रहकर ही पूरी होती हैं। वे हमें सिखाती हैं कि सच्चा प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं, बल्कि किसी की खुशी के लिए चुपचाप दूर हो जाने का भी नाम है।

कबीर और आयत की कहानी कभी पूरी नहीं हुई, पर उनका प्यार उनकी यादों में, उन सूखी हुई गुलाब की पंखुड़ियों में और एक बेटी के नाम में हमेशा ज़िंदा रहा। और शायद यही उनकी अधूरी प्रेम कहानी का सबसे खूबसूरत मुकाम था।

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