माँ की जादुई बातें जो आपको मजबूत बनाएंगी

 

माँ की जादुई बातें जो आपको मजबूत बनाएंगी

हर माँ के पास एक जादुई पिटारा होता है। इस पिटारे में खिलौने या मिठाइयाँ नहीं, बल्कि कुछ ऐसी बातें होती हैं, जो ज़िंदगी के सबसे मुश्किल रास्तों पर हमारा सहारा बनती हैं। ये बातें मरहम भी होती हैं और मशाल भी। यह कहानी है ऐसी ही एक माँ, शारदा जी, की और उनकी उन जादुई बातों की, जिन्होंने उनके बेटे, रोहन, की ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।

रोहन एक छोटे शहर का लड़का था, जिसकी आँखों में बड़े सपने थे। वह एक आईएएस ऑफिसर बनना चाहता था। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह दिल्ली के मुखर्जी नगर की एक छोटी सी बरसाती में रहता था। उसके पिता, श्री किशनलाल जी, एक साधारण किसान थे। वह अक्सर रोहन को फोन पर कहते, "बेटा, यह सब अपने बस का नहीं है। वापस आ जा, यहाँ खेती में मेरा हाथ बँटा।"

यह एक आम भारतीय परिवार के संघर्ष की कहानी थी, जहाँ सपने बड़े थे और साधन सीमित।

रोहन दिन-रात पढ़ाई करता, पर दिल्ली जैसे बड़े शहर में अकेलापन और प्रतियोगिता का दबाव उसे अंदर ही अंदर तोड़ रहा था। दो बार वह प्रीलिम्स परीक्षा में असफल हो चुका था। निराशा के बादल उस पर इतने घने हो गए थे कि उसे अपने सपने धुँधले नज़र आने लगे।

उस रात, जब तीसरी बार भी असफल होने का डर उसे खाए जा रहा था, उसने अपनी माँ, शारदा जी, को फोन किया।

"माँ," उसकी आवाज़ nghẹn ngat हो रही थी, "मुझसे नहीं होगा। पापा ठीक ही कहते हैं, यह सब मेरे बस का नहीं है। मैं वापस आ रहा हूँ।"

फोन के दूसरी तरफ एक पल की खामोशी थी। फिर शारदा जी की शांत, पर दृढ़ आवाज़ आई। उन्होंने उसे डाँटा नहीं, कोई भाषण नहीं दिया। उन्होंने बस अपनी पहली जादुई बात कही।

1. "हारना तब नहीं होता जब तुम गिर जाते हो, बेटा। हारना तब होता है जब तुम उठने से इनकार कर देते हो।"

उन्होंने आगे कहा, "नदी जब पहाड़ से निकलती है, तो क्या वह सीधा समंदर तक पहुँच जाती है? नहीं। वह पत्थरों से टकराती है, चट्टानों से गिरती है, पर वह बहना नहीं छोड़ती। तू तो मेरा शेर बेटा है। एक-दो पत्थरों से डर गया?"

यह शब्द नहीं, एक संजीवनी बूटी थे। रोहन की निराशा में एक उम्मीद की किरण जगी।

उसने फिर से तैयारी शुरू की, इस बार एक नए जोश के साथ। पर इस सफर में एक और बड़ी चुनौती आई। उसके पिता का एक्सीडेंट हो गया और घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई। अब रोहन के लिए दिल्ली में रहना और पढ़ाई का खर्च उठाना लगभग नामुमकिन हो गया।

उसने फिर अपनी माँ को फोन किया, इस बार हार मानने के लिए नहीं, बल्कि अपनी मजबूरी बताने के लिए। "माँ, मैं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लेता हूँ। घर पर पैसों की ज़रूरत है।"

शारदा जी का दिल कांप गया, पर उनकी आवाज़ नहीं कांपी। उन्होंने अपनी दूसरी जादुई बात कही।

2. "जब पेट खाली हो, तो सपने और भी ज़रूरी हो जाते हैं। क्योंकि पेट की भूख तो एक रोटी मिटा देगी, पर सपनों की भूख तुम्हें ज़िंदगी भर बेचैन रखेगी।"

उन्होंने रोहन को बताए बिना, अपनी सोने की आखिरी निशानी, अपनी शादी की चूड़ियाँ बेच दीं। उन्होंने गाँव में सिलाई का काम शुरू कर दिया और हर महीने थोड़े-थोड़े पैसे रोहन को भेजती रहीं, यह कहकर कि 'खेत में फसल अच्छी हुई है।'

यह एक माँ का त्याग था, जिसे रोहन उस वक्त समझ नहीं पाया।

समय बीता। रोहन ने अपनी मेहनत और अपनी माँ की बातों की ताकत से आखिरकार सिविल सेवा की परीक्षा पास कर ली। जिस दिन परिणाम आया, उस दिन वह सिर्फ एक सफल उम्मीदवार नहीं था, वह एक मजबूत इंसान बन चुका था।

जब वह एक अफसर बनकर पहली बार अपने गाँव लौटा, तो पूरा गाँव उसके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा। उसके पिता की आँखों में गर्व के आँसू थे।

उस रात, जब सब सो गए, तो रोहन अपनी माँ के पास गया, जो आँगन में बैठी आसमान को देख रही थीं। उसने अपनी पहली तनख्वाह का लिफाफा अपनी माँ के हाथों में रख दिया।

"माँ, यह आपकी वजह से है," उसने कहा।

शारदा जी ने लिफाफा एक तरफ रखा और अपने बेटे का हाथ थाम लिया। उन्होंने अपनी आखिरी जादुई बात कही, जो शायद सबसे महत्वपूर्ण थी।

3. "बेटा, अब तू बड़ा अफसर बन गया है। तेरे हाथ में ताकत होगी। याद रखना, यह कुर्सी सेवा के लिए मिली है, शासन के लिए नहीं। ज़मीन पर पैर हमेशा जमाए रखना, क्योंकि जो पेड़ जितना ऊँचा होता है, उसकी जड़ें उतनी ही गहरी होनी चाहिए।"

रोहन ने अपनी माँ को कसकर गले से लगा लिया। उसे आज समझ आया कि उसकी माँ पढ़ी-लिखी भले ही न हों, पर उनके पास ज़िंदगी का जो ज्ञान है, वह किसी भी किताब में नहीं मिल सकता।

यह कहानी हमें सिखाती है कि माँ की बातें सिर्फ शब्द नहीं होतीं, वे जीवन के वो मंत्र होते हैं जो हमें हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देते हैं। वे हमें सिखाती हैं कि कैसे गिरकर उठना है, कैसे मुश्किलों में भी सपनों को ज़िंदा रखना है, और कैसे सफलता पाकर भी अपनी जड़ों को नहीं भूलना है। यह बातें हर उस इंसान के लिए हैं, जो ज़िंदगी की किसी न किसी लड़ाई में खुद को अकेला महसूस कर रहा है। अपनी माँ की बातों को याद करना, वे हमेशा आपको मजबूत बनाएंगी।

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