एक रात का अधूरा सच

  एक रात का अधूरा सच


यह कहानी है मानव की, दिल्ली की एक तंग गली में रहने वाले एक साधारण लड़के की। मानव का सaaपना बड़ा नहीं था, बस इतना था कि वह अपनी माँ के घुटनों का ऑपरेशन करा सके। इसके लिए उसे पैसों की ज़रूरत थी। वह एक छोटे से कैफे में डिलीवरी बॉय का काम करता था, जहाँ से मिलने वाली तनख्वाह से घर का खर्च ही मुश्किल से चलता था।
एक रात, दिल्ली में मूसलाधार बारिश हो रही थी। मानव अपना आखिरी ऑर्डर देने के लिए निकला था। सड़क पर पानी भरा था और उसकी पुरानी बाइक बार-बार बंद हो रही थी। वह पूरी तरह भीग चुका था, ठंड से कांप रहा था, पर उसे ऑर्डर पहुँचाना था, क्योंकि उस दिन के पैसे उसके लिए बहुत मायने रखते थे।
जब वह एक पॉश कॉलोनी में पहुँचा, तो उसने देखा कि एक महंगी गाड़ी पानी में फंसी हुई है। अंदर एक अमीर परिवार - पति, पत्नी और एक छोटी सी बच्ची - घबराए हुए थे। मानव ने एक पल भी नहीं सोचा। उसने अपना फूड डिलीवरी बैग एक तरफ रखा और गाड़ी को धक्का देना शुरू कर दिया।
घुटनों तक भरे गंदे पानी में, वह अपनी पूरी ताकत लगा रहा था। दस मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद, गाड़ी स्टार्ट हो गई। कार के मालिक ने शीशा नीचे किया और बिना कुछ कहे, सौ रुपये का एक नोट मानव की ओर बढ़ा दिया।
मानव ने भीगे हुए, कांपते हाथों से नोट लिया और बिना कुछ कहे अपनी बाइक की ओर बढ़ गया। उसे न तो कोई शिकायत थी, न कोई उम्मीद। यह तो उसकी ज़िंदगी का हिस्सा था।
लेकिन उसे यह नहीं पता था कि उसी कॉलोनी के एक फ्लैट की बालकनी से, एक नौजवान लड़का, समीर, यह पूरा दृश्य अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर रहा था। समीर एक स्ट्रगलिंग यूट्यूबर था, जो हमेशा एक ट्रेंडिंग टॉपिक की तलाश में रहता था।
समीर ने उस वीडियो में एक इमोशनल सा म्यूजिक डाला, एक कैप्शन लिखा - "देखिए इस अमीर आदमी की इंसानियत, बारिश में भीगते डिलीवरी बॉय को दिए पूरे 100 रुपये!" - और उसे अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया।
अगली सुबह तक, वह वीडियो वायरल हो चुका था।
#DeliveryBoyKiMajboori, #ShameOnRich, #HumanityTest जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। न्यूज़ चैनलों ने वीडियो चला दिया। लोग उस अमीर आदमी को कोस रहे थे और उस 'बेचारे' डिलीवरी बॉय के लिए सहानुभूति जता रहे थे। हर कोई उस वीडियो को अपने नज़रिए से देख रहा था।
मानव को इस बारे में कुछ नहीं पता था। वह अगले दिन फिर से अपने काम पर निकल गया। लेकिन आज कुछ अलग था। लोग उसे सड़क पर पहचान रहे थे। उसके कैफे के बाहर पत्रकारों की भीड़ थी।
कैफे के मालिक ने उसे अंदर बुलाया और कहा, "मानव, तुम तो स्टार बन गए! देखो, तुम्हारे लिए लोगों ने ऑनलाइन पैसे इकट्ठे करना भी शुरू कर दिया है।"
मानव हैरान था। उसने जब वह ट्रेंडिंग वीडियो देखा, तो उसे कुछ समझ नहीं आया। उसे तो वह घटना याद भी नहीं थी।
एक न्यूज़ रिपोर्टर ने माइक उसके मुँह के आगे कर दिया। "आपको कैसा लग रहा है? उस अमीर आदमी ने आपके साथ बहुत बुरा किया।"
मानव ने झिझकते हुए कहा, "नहीं... ऐसा नहीं है। उन्होंने तो मेरी मदद के बदले मुझे पैसे दिए थे। इसमें गलत क्या है?"
लेकिन उसकी बात किसी ने नहीं सुनी। सोशल मीडिया की अदालत ने अपना फैसला सुना दिया था। उस अमीर आदमी को अपनी नौकरी से निकाल दिया गया। उसकी बेटी को स्कूल में तंग किया जाने लगा।
दूसरी तरफ, मानव के लिए बनाए गए ऑनलाइन फंड में लाखों रुपये जमा हो गए। उसकी माँ के ऑपरेशन का इंतज़ाम हो गया। लोग उसे असली हीरो कह रहे थे।
लेकिन मानव खुश नहीं था। उसे रात में नींद नहीं आती थी। उसे उस आदमी का चेहरा याद आता, जिसकी ज़िंदगी एक ऐसे वीडियो ने बर्बाद कर दी थी, जिसमें उसकी कोई गलती ही नहीं थी। उसे लगता था कि यह पैसा उसका नहीं है, यह किसी की बर्बादी पर मिली हुई भीख है।
एक हफ्ते बाद, मानव ने एक बड़ा फैसला किया। वह उन सारे पैसों को लेकर उस अमीर आदमी के घर पहुँचा, जिसका पता उसने बड़ी मुश्किल से निकाला था।
दरवाज़ा उसी आदमी ने खोला। उसकी आँखों में अब वह घमंड नहीं, बल्कि एक गहरी उदासी और हार थी।
मानव ने पैसों से भरा बैग उनके सामने रख दिया। "साहब, यह आपके हैं। उस रात आपने मेरी मदद के बदले मुझे पैसे दिए थे, पर दुनिया ने उसका गलत मतलब निकाल लिया। मेरी वजह से आपका जो नुकसान हुआ, शायद यह उसकी भरपाई तो नहीं कर सकता, पर..."
वह आदमी हैरान होकर मानव को देखता रहा। उसकी आँखों में आँसू आ गए।
उसने कहा, "गलती तुम्हारी नहीं है, बेटा। गलती इस नए ज़माने की है, जहाँ लोग सच जानने से पहले ही जज बन जाते हैं। यह सोशल मीडिया का सच है, जो अक्सर आधा-अधूरा होता है।"
उसने पैसे लेने से मना कर दिया। "यह तुम्हारी माँ के इलाज के लिए है। इसे रखो। बस तुमने आज यहाँ आकर यह साबित कर दिया कि जिस इंसानियत के नाम पर मुझे बदनाम किया गया, वह इंसानियत आज भी ज़िंदा है।"
मानव जब उस घर से बाहर निकला, तो उसका मन हल्का था। उसे समझ आ गया था कि ट्रेंडिंग टॉपिक की दुनिया कितनी खोखली होती है। लोग एक दिन किसी को हीरो बनाते हैं, और दूसरे दिन विलेन। असली कहानी, असली भावनाएँ और असली सच अक्सर उस वायरल वीडियो के फ्रेम से बाहर रह जाता है।
उसने अपनी माँ का ऑपरेशन कराया, पर बाकी के पैसों से उसने दूसरे ज़रूरतमंद डिलीवरी बॉयज़ की मदद के लिए एक छोटा सा फंड शुरू किया। वह स्टार नहीं बनना चाहता था। वह बस एक इंसान बने रहना चाहता था।

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