रिमझिम बरसात
गर्मी और उमस से भरा एक दिन था। सूरज आग उगल रहा था और हर कोई पसीने से तर-बतर था। दोपहर होते-होते अचानक मौसम ने करवट ली। आसमान में काले-काले बादल घिर आए और ठंडी हवा के झोंके चलने लगे। पेड़ों के पत्ते खुशी से झूम उठे, मानो वे भी बेसब्री से बारिश का इंतज़ार कर रहे हों।
8 साल का रोहन अपनी खिड़की के पास बैठा यह सब देख रहा था। उसकी आँखें उम्मीद से चमक रही थीं। तभी, टिप... टिप... टिप... पानी की कुछ बूँदें खिड़की के शीशे पर गिरीं। कुछ ही पलों में, ये बूँदें एक खूबसूरत रिमझिम फुहार में बदल गईं।
बारिश की पहली फुहार के साथ ही मिट्टी की वो सौंधी-सौंधी खुशबू चारों ओर फैल गई, जो दिल को एक अजीब सा सुकून देती है। रोहन दौड़कर अपनी माँ के पास गया और बोला, "माँ, बारिश आ गई! क्या मैं बाहर जाकर भीग सकता हूँ?"
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, "अभी रुको बेटा, थोड़ी तेज हो जाए फिर चलना। तब तक चलो, तुम्हारे लिए कुछ खास बनाते हैं।"
रिमझिम बरसात अब थोड़ी तेज हो गई थी। हर तरफ पानी की बूंदों की मधुर आवाज़ गूँज रही थी। रोहन ने अपनी पुरानी कॉपी से एक पन्ना फाड़ा और उसकी एक सुंदर सी नाव बनाई। उसने खिड़की खोली और बाहर बरामदे में जमा हुए पानी में अपनी नाव तैरा दी। उसकी छोटी सी नाव पानी की लहरों पर हिचकोले खाती हुई आगे बढ़ रही थी और रोहन खुशी से तालियाँ बजा रहा था।
तभी रसोई से गरमागरम पकौड़ों की खुशबू आई। माँ अदरक वाली चाय और कुरकुरे प्याज के पकौड़े लेकर आईं। रोहन, उसके पापा और माँ, तीनों बालकनी में बैठ गए। बाहर रिमझिम बारिश हो रही थी, और अंदर वे सब चाय की चुस्कियों के साथ पकौड़ों का मज़ा ले रहे थे। पापा अपने बचपन के किस्से सुनाने लगे कि कैसे वे बारिश में दोस्तों के साथ फुटबॉल खेला करते थे।
बाहर का नज़ारा बहुत सुंदर था। पेड़-पौधे नहाकर एकदम हरे और ताज़े लग रहे थे। कुछ बच्चे गली में निकलकर बारिश में नाच रहे थे और कागज़ की नावें तैरा रहे थे। दूर कहीं मेंढकों की टर्र-टर्र की आवाज़ सुनाई दे रही थी। ऐसा लग रहा था मानो पूरी प्रकृति इस बरसात का जश्न मना रही हो।
कुछ देर बाद बारिश धीमी पड़ गई। आसमान साफ होने लगा और सूरज की हल्की किरणें बादलों के पीछे से झाँकने लगीं। देखते ही देखते आसमान में एक खूबसूरत सतरंगी इंद्रधनुष निकल आया। रोहन ने जब उसे देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
वह दिन रोहन के लिए बहुत यादगार बन गया। उस रिमझिम बरसात ने न केवल गर्मी से राहत दी, बल्कि अपने साथ ढेर सारी खुशियाँ, पकौड़ों का स्वाद, परिवार का साथ और इंद्रधनुष का खूबसूरत तोहफा भी लेकर आई थी। रोहन समझ गया था कि बारिश की बूँदें सिर्फ पानी नहीं होतीं, वे अपने साथ कई खूबसूरत एहसास और यादें लेकर आती हैं।

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